Shaam e Judai Mujh Ko Urdu/Hindi Sad Poetry Nasir Kazmi Poetry






 دھوپ اْدھر ڈھلتی تھی دل ڈوبتا جاتا تھا اِدھر
آج تک یاد ہے ـــــ وہ شامِ جدائ مجھ کو 


सूरज यहाँ अस्त हो रहा था और दिल यहाँ डूब रहा था
मुझे आज भी जुदाई की वो शाम याद है

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